Address: Manorville Mansion, Boileauganj to Summer Hill, Summer Hill, Shimla, Himachal Pradesh 171005, India
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शिमला हेरिटेज – मैनोर विला, राजकुमारी अमृत कौर का निवास, महात्मा गांधी की यादों को संजोया
ब्रिटिश कालीन राजधानी रही शिमला की हेरीटेज भवनों में शुमार हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी कैंपस में मैनोर विला शामिल है। मैनोर विला देश की पहली महिला स्वास्थ्य मंत्री राजकुमारी अमृत कौर का शिमला में निवास था। अमृत कौर महात्मा गांधी की सचिव रहीं हैं इस कारण जब भी महात्मा गांधी शिमला में अंग्रेज वायसराय से आजादी के आंदोलन के संबंध में चर्चा करने शिमला आते थे तो वह कई बार राजकुमारी अमृत कौर के मैनोर विला में रुकते थे। इस कारण वर्तमान में मैनोर विला के एक रुम में महात्मा गांधी की यादों को संजोकर रखा गया है। शिमला घूमने आने वाले पर्यटक गांधी जी की यादों को संजोए मैनोर विला की यात्रा अवश्य करते हैं। राजकुमारी अमृत कोर पंजाब के कपूरथला रियासत के राजा हरनाम सिंह की बेटी थीं। राजकुमारी अमृत कौर ने देश की आजादी के लिए चलाए गए स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया और कई बार जेल भी गईं। अमृत कौर महात्मा गांधी से प्रभावित होकर आजादी के आंदोलन में शामिल हुई और जीवन का अधिकांश समय गांधी के साथ ही स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेकर व्यतीत किया। अमृत कौर संविधान सभा की सदस्य भी रहीं और देश की अंतरिम सरकार में मंत्री भी रहीं। देश की आजादी के बाद पंडित जवाहर लाल नेहरु के नेतृत्व में बनी सरकार में अमृत कौर पहली स्वास्थ्य मंत्री बनी।
राजकुमारी अमृत कौर हिमाचल प्रदेश की मंडी संसदीय क्षेत्र से 1952 के उपचुनाव में लोकसभा चुनाव लड़कर संसद सदस्य बनी थीं। राजकुमारी अमृत कौर स्वतंत्र भारत की दस वर्षों तक स्वास्थ्य मंत्री थीं। वे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा सामाजिक कार्यकर्ता थीं। वे महात्मा गांधी की अनुयायी तथा 16 वर्ष तक उनकी सचिव रहीं।
राजकुमारी अमृत कौर का जन्म 2 फ़रवरी 1989 को उत्तर प्रदेश राज्य के लखनऊ नगर में हुआ था। इनकी उच्च शिक्षा इंग्लैंड में हुई। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से एम. ए. पास करने के उपरांत वह भारत वापस लौटीं। 1945 में यूनेस्को की बैठकों में सम्मिलित होने के लिए जो भारतीय प्रतिनिधि दल लंदन गया था, राजकुमारी अमृत कौर उसकी उपनेत्री थी। 1946 में जब यह प्रतिनिधिमंडल यूनेस्को की सभाओं में भाग लेने के लिए पेरिस गया, तब भी वे इसकी उपनेत्री (डिप्टी लीडर) थीं। 1948 और 1949 में वह 'आल इंडिया कॉन्फ्रेंस ऑफ सोशल वर्क' की अध्यक्षता रहीं। 1950 ई. में वह वर्ल्ड हेल्थ असेंबली की अध्यक्षा निर्वाचित हुई।